यमनोत्री धाम  इतिहास और पौराणिक महत्व

यमनोत्री धाम का नाम चार छोटे धामों से सबसे पहले स्थान पर लिया जाता है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित यह मंदिर चार धामों का पहला पड़ाव रहता है।  चार धाम यात्रा की शुरुवात सबसे पहले यमनोत्री धाम से ही की जाती है।  उत्तराखंड क्लब के आज लेख के माध्यम से हम यमनोत्री धाम और  यमनोत्री धाम के इतिहास के साथ साथ यमनोत्री के पौराणिक महत्व के बारें में जानकारी साझा करने वाले है।  आशा करते है की आपको यह लेख जरूर पसंद आएगा इसलिए इसे लास्ट तक पढ़ना बिलकुल भी न भूलें।

यमनोत्री धाम  के बारें में

यमनोत्री धाम मंदिर उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है जो की माँ यमुना को समर्पित है।  जिसे यमुना का उद्गम स्थल भी माना जाता है।  समुद्र तल  से 4421 मी० की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर कालिंद पर्वत की चोटी  पर बनी हुई है। आस्था और भक्ति का प्रतिक यमनोत्री धाम चार धामों में से एक है।  प्राकृतिक सुरदरता से परिपूर्ण से या धाम लाखो भक्तो को अपनी और आकर्षित करता है।  मंदिर का निर्माण विषय के बारें बताया जाता है की मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के राजा प्रतापशाह द्वारा सन 1919 किया गया था।  यमनोत्री धाम का ऐतिहासिक तौर बड़ा ही महत्व माना जाता है। अपनी खूबसूरत वादियों को प्रस्तुत करती हुई यह मंदिर  कालिंदी पर्वत के चोटी पर स्थित  है जहाँ पर पर्यटक आस्था और भक्ति के साथ साथ प्राकृतिक सौंदर्यता का अनुभव भी करते है यहाँ पर देवी यमुना की पूजा की जाती है वही देखे तो सर्दियों में देवी यमुना की मूर्ति  को उत्तरकाशी के खरसाली गांव में स्थापित किया जाता है जहाँ अगले छ: महीने तक  देवी की पूजा वही की जाती है।

मंदिर यमनोत्री धाम
समर्पित माँ यमुना
स्थित उत्तरकाशी जिले में
स्थापना राजा सुदर्शन शाह
स्थापना  वर्ष 19 वीं शताब्दी
समुद्र तल ऊंचाई से 4421 मी०
खुलने का समय अक्षय तृतीया के दिन
बंद होने के समय दीपावली के दिन

यमनोत्री धाम मंदिर का निर्माण

यमनोत्री धाम मंदिर निर्माण के बारें में बहुत से मत निकल कर सामने आते है।  ऐतिहासिक  तथ्यों के आधार पर पता चलता है की यमनोत्री मंदिर का निर्माण सबसे पहले 1919  में  टिहरी गढ़वाल के राजा प्रतापशाह ने देवी यमुना को समर्पित करते हुए किया था लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के कारण मंदिर छतिग्रस्त हो गया था। बाद में  मंदिर का पुनः निर्माण 19वीं शताब्दि में  जयपुर की प्रसिद्ध महारानी  गुलेरिया ने करवाया था। जहाँ पहले असित मुनि का निवास स्थान था। स्थापत्य शैली से निर्मित यह मंदिर सभी मंदिरों में से खास है।  जिसका निर्माण आस पास के पहाड़ों द्वारा लाये गए ग्रेनाइट के पत्थरों से किया गया है।  आँगन से मंदिर तक पहुंचने के लिए चौड़ी चौड़ी सीढ़ियों का निर्माण किया गया है।  मंदिर के गर्भगृह में मालाओ से सजी माँ युमना की चांदी से निर्मित एक प्रतिमा है।

यमुनोत्री मंदिर का इतिहास

यमनोत्री धाम के इतिहास के सन्दर्भ में बहुत से कहानिया सामने निकल कर आती है। किदवंतियों के अनुसार यह भी पता चलता है की यहाँ पहले असित मुनि का निवास स्थान हुवा करता था।  उन्होंने अपनी सारी ज़िन्दगी माँ गंगा और यमुना नदियों में रोजाना स्नान किया।  फिर अपने बुढ़ापे में जब वे नदी में स्नान करने नहीं जा सके तो माँ यमुना खुद उनके आवास आये।

यमुनोत्री धाम की पौराणिक अवधारणा

भारतीय पौराणिक कथाओं में यमनोत्री धाम का विशेष महत्व देखने को मिलता है कहा जाता है की माँ देवी यमुना भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनि देव जी की बहन मानी जाती जाती है। मान्यता है की भैयादूज वाले दिन जो भी श्रद्धालु यहाँ यमुना नदी में  स्नान करते है। भगवान यम  मृत्यु के समय उन्हें पीड़ित नहीं करते है।  यमुना नदी में  स्नान मोक्ष प्राप्ति के सामान माना जाता है।  इसलिए इस मंदिर में भगवान यम की पूजा का भी विशेष महत्व माना जाता है।

यमुनोत्री धाम कैसे पहुंचे

पवित्र यमनोत्री धाम मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है।  सड़क मार्ग की अच्छी संपर्कता  होने से आप यहाँ आराम से पहुंच सकते है।  वही रेल मार्ग और वायुमार्ग भी यमनोत्री धाम से संपर्क रखता है लेकिन रेलमार्ग और वायुमार्ग के स्टेशन मंदिर से कुछ समय की दुरी की स्थित है  |

सड़क मार्ग से यमनोत्री धाम कैसे पहुंचे – सड़क मार्ग यमनोत्री धाम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।  यह देश की राजधानी दिल्ली से लगभग से 451 किलोमीटर की दुरी पर साथ ही देहरादून से यह 171 किलोमीटर की दुरी स्थित है।  सड़क मार्ग के माधयम से यमनोत्री धाम आराम से पंहुचा जा सकता है।

रेल मार्ग से यमनोत्री धाम कैसे पहुंचे – यमनोत्री धाम का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है।  यहाँ से यमनोत्री धाम 211 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।  ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से यमनोत्री धाम के लिए बहुत से प्राइवेट कैब और बसे मिल जाती है।  आप आराम से अच्छी सुविधा के साथ यमनोत्री धाम पहुंच सकते है।

वायुमार्ग से यमनोत्री धाम कैसे पहुंचे – यमनोत्री धाम का निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हैं।  यहाँ से यमनोत्री  धाम की दुरी लगभग 196 किलोमीटर के आस पास है साथ ही जॉली ग्रांट ऋषिकेश से लगभग 20 किमी० की दुरी पर स्थित है यहाँ से बस और टेक्सी के माध्यम से आसानी से पंहुचा जा सकता है।

 

अक्सर पूछे जाने वाले सावलें

 

1.- यमुनोत्री का उल्लेख किस पुराण में मिलता है ?

यमुनोत्री धाम का उल्लेख कूर्मपुराण, केदारखण्ड, ऋग्वेद, ब्रह्मांड पुराण में देखने को मिल जाता ह।

2.- यमनोत्री किस पर्वत पर है ?

यमनोत्री पवित्र यमुना नदी का उदगम स्थल माना जाता है जो की बंदर पुंछ पर्वत पर समुद्र तल से 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

3.- हरिद्वार से यमुनोत्री की दूरी ?

हरिद्वार से यमनोत्री की दुरी 268 किमी० है यहाँ से बस सेवा के माध्यम से आप अपनी यात्रा शुरू कर सकते है।

4.-यमुनोत्री से उत्तरकाशी की दूरी?

यमनोत्री से उत्तरकाशी की दुरी 125 किमी० है

5.- यमुनोत्री से गंगोत्री की दूरी?

हमारें पाठकों द्वारा यह भी पूछा गया था की यमुनोत्री से गंगोत्री की दूरी कितनी है बताना चाहिँगे की यमुनोत्री से गंगोत्री की दूरी 222 किमी० है।

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