रक्षा बंधन आने वाला है और बाजारों में चारो तरफ राखियों से सजी खूबसूरत दुकाने के साथ बाजारों की चहल पहल भी हमने देखा ली है। लेकिन हमें ये प्रश्न बार बार परेशान करता है की आखिर ये रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है और क्या रक्षा बंधन का इतिहास रहा है। उत्तराखंड क्लब के आज के लेख के माध्यम से हम आपके रक्षा बंधन से जुड़े ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब देने वाले है। इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़ना बिलकुल भी न भूलें।
क्या होता है रक्षा बंधन का त्यौहार
रक्षाबन्धन का नाम सुनते ही सभी भाई बहनों के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई होगी। और आये भी क्यों नहीं। साल में एक बार आने वाले इस त्यौहार का बड़ी ही ख़ुशी और बेसब्री से लोग इन्तजार जो करते है। रक्षाबंधन हिन्दू धर्म का पवित्र त्यौहार माना जाता है। भाई और बहन के प्यार को समर्पित यह त्यौहार पूरे भारत वर्ष में बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। इस दिन बहन द्वारा अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधी जाती है और भाई अपनी बहन का रक्षा का संकल्प लेता है। रक्षाबंधन का अर्थ होता है की रक्षा का बंधन यानि की सुरक्षा की एक डोर जिसे बहनो द्वारा अपने भाई के कलाई पर उनकी लंबी उम्र की कामना करते हुए बाँधा जाता है और भाई द्वारा भी अपनी बहन की रक्षा का संकल्प दिया जाता है।
रक्षाबंधन से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने सवाल
2023 में रक्षाबंधन कब हैं शुभ मुहूर्त क्या हैं
रक्षा बंधन का त्यौहार कब है | 30 अगस्त 2023 |
दिन | बुधवार |
राखी बांधने का शुभ मुहुर्त | सुबह 10 बजकर 58 मिनट से |
कुल अवधि | 11 घंटे 46 मिनट |
रवि योग | सुबह 5:30 से 6:53 तक |
अमृत योग | शाम 6:55 से 8:20 रात्रि तक |
इस वर्ष यानि की 2023 में रक्षाबंधन 30 अगस्त 2022 को आ रहा है राखी बांधने का शुभ मोहरता सुबह 10:58 बजे से 31 अगस्त गुरुवार को सुबह 07 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी . इस बीच भद्रा साया का समय भी आ रहा है भद्रा काल में शुभ काम नहीं किया जाता। इस लिए भद्रा समय का बिशेष ध्यान रखना चाहिए।
रक्षाबंधन किस तरह से मनाया जाता है
रक्षाबंधन का दिन सभी के लिए बड़ा ही खास होता है। ख़ुशी और हर्ष उल्लास के साथ मनाये जाने वाले इस दिन की शुरुआत सभी घर के लोग नये नये पकवान बनाकर करते है। भारतीय परम्परा के अनुसार इस दिन को बड़े ही पवित्रता के साथ मानने की प्रथा रही है। इसलिए इस दिन सभी लोग नहा धोकर नये नये कपड़ें भी पहनते है। राखी का शुभ मोहरत आते ही सभी भाई बहन एक जगह इकट्ठा हो जाते है और फिर राखी का यह प्यारा सा त्यौहार मनाया जाता है।
बहन द्वारा सबसे पहले टिका लगाकर भाई की उतारी जाती है । इसके बाद में भाई की कलाई पर राखी बांधकर एक दूसरे को मिठाई खिलाई जाती है और सर पे कुछ फूल रखे जाते हैं और उम्र के हिसाब से पैर छुकर आशीर्वाद लिया जाता है। भाई द्वारा भी अपनी बहन को शगुन के तौर पर उपहार दिया जाता है।
रक्षाबन्धन का महत्व
भारतीय इतिहास और हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन त्यौहार का बड़ा ही महत्व माना गया है। सदियों से चला रही यहाँ परम्परा भाई और बहन के अटूट प्रेम का प्रतिक है। इस दिन बहन द्वारा अपने भाई के हाथ में रक्षा धागा बांध कर लंबी उम्र की कामना की जाती है और भाई द्वारा हर समय उसके साथ देना का संकल्प लिया जाता है। इसीलिए भाई बहन के रिश्ते को सबसे अटूट माना जाता है।
रक्षाबंधन का इतिहास और मनाने की प्रथा
इतिहास के बहुत से पन्नो में हमको रक्षाबंधन मानने की प्रथा के बारें में जानकारी प्राप्त होती है। ऐतिहासिक ही नहीं बल्कि पौराणिक गाथाओं में भी रक्षाबंधन मानाने का उल्लेख मिलता है। नीचे हम आपको कुछ कहानियों के माध्यम से समझते है।
सम्राट हुमायूँ और रानी कर्णावती
रानी कर्णावती की राखी कहानी भी अलग भी महत्व रखती है। बात उस समय की है जब राजपूतों को मुस्लमान राजाओं के साथ युद्ध करना पड़ रहा था। रानी कर्णावती और गुजरात के सुल्तान बहादुर साह के बीच युद्ध चल रहा था। अपनी प्रजा की रक्षा करने के लिए रानी ने सम्राट हुमायूँ को पत्र के साथ राखी भेंट की। परिणाम स्वरूप सम्राट हुमायूँ ने अपनी एक सेना की टुकड़ी चित्तोर भेज दी जिससे बहादुर साह की सेना को पीछे हटने के मजबूर होना पड़ा।
कृष्ण और द्रौपधी की कहानी
प्रजा की रक्षा करते हुए जब भगवान श्री कृष्णा को दुष्ट राजा शिशुपाल के साथ युद्ध करना पड़ा तो युद्ध के दौरान उनकी ऊँगली में गहरी चोट आई थी। द्रौपदी से यह देखा नहीं गया और उन्होंने अपने वस्त्र का उपयोग करके खून बहने से रोक लिया। इस कार्य को देख श्री कृष्ण प्रसन्न हुए और उन्होंने द्रौपदी को रक्षा का संकप्ल दिया।
रक्षाबंधन से सम्बंधित अक्सर पूछे जाने सवाल
Q.-रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है ?
Ans – श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन
Q.- राखी 2023 में कितनी तारीख को है ?
Ans – 30 अगस्त 2023