vishwakarma diwas 2022, विश्वकर्मा दिवस 2022

विश्वकर्मा दिवस 2022, विश्वकर्मा दिवस महत्व और इतिहास

हमारें भारत वर्ष में प्रकृति द्वारा निर्मित हर एक चीज का  शुक्रगुजार  करने के लिए त्यौहार मानने  का विशेष प्रावधान रहा है।  चाहे वो किसी भी रूप में  हो पर्व, त्यौहार , लोकपर्व|  लेकिन हर तरह से सृष्टि  निर्माताओं का धन्यवाद किया जाता है। और यहाँ प्रथा सैकड़ों  वर्षों से चली आ रही है।  उन्ही त्यौहारों की श्रेणी में विश्वकर्मा दिवस त्यौहार भी आता है।  उत्तराखंड क्लब के आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ विश्वकर्मा दिवस 2022 और विश्वकर्मा दिवस का महत्व के बारें में जानकारी साझा करने वाले है।

क्या होता है विश्वकर्मा दिवस

हमारी ये पूरी पृथ्वी और ये  सृष्टि भगवान की रचना है।  हवा,पानी, आग, मिट्टी ये सभी भगवान की देन है।  हम इंसानों का काम तो केवल इनका उपयोग करके नवनिर्माण करना  है।  भगवान विश्वकर्मा जी जिन्होंने सृष्टि के अधिकांश चीजों का नर्माण किया है। जिन्हे सृष्टि के सबसे बड़े निर्माण कर्ता और वास्तुकार के नाम से भी जाना जाता है  उनके जन्म दिवस के अवसर पर विश्वकर्मा दिवस मनाया जाता है।  निमार्ण कार्य करने के लिए औजारों की  जरूरत होती है और औजारों के गुरु को गुरु विश्वकर्मा  कहलाते है।  विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार हुवा करते थे।  देवताओं की वस्तुओं और औजारों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ही किया करते थे।

विश्वकर्मा दिवस कब मनाया जाता है

हर त्यौहार और पर्व को एक विशेष समय में मनाये जाने का महत्व रहा है।  इसी तरह से विश्वकर्मा जी के जन्मदिन के अवसर पर विश्वकर्मा दिवस मनाया जाता है जो की हर वर्ष कन्या संक्राति के दिन मनाई जाती है।  आज के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करके सभी लोग अपने काम में आने वाले औजारों की भी पूजा करते है।

2022 में विश्वकर्मा दिवस कब है

हर साल की तरह इस साल भी सभी लोग विश्वकर्मा दिवस का बड़ी बेसब्री से इन्तजार कर रहे है की आखिर 2022 में विश्वकर्मा दिवस कब है ।  जैसा की हम आपको पहले ही बता चुके है की विश्वकर्मा दिवस हर वर्ष कन्या संक्राति के दिन मनाया जाता है जो की इस साल यानि की 2022 में 17 सितम्बर के दिन आ रहा है।  विश्वकर्मा दिवस के दिन राष्टीय अवकाश होता है।  लेकिन सभी लोग अपने कार्य स्थल में पहुंच कर भगवान विश्वकर्मा की फोटो के साथ पूजा करते है।

उत्तराखंड में विश्वकर्मा दिवस किस तरह से मनाया जाता है। 

उत्तराखंड में हर त्यौहार को बड़े  ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाये जाने का रीती रिवाज रहा है।  बताना चाहिँगे की  विश्वकर्मा दिवस को भी उत्तराखंड में बड़ी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता है।  अपने दिन की शुरुवात सभी लोग सुबह सुबह स्नान करके करते है।  घर की महिलाओं द्वारा तुलसी के पौधें में जल चढ़ाया जाता है। उत्तराखंड कृषि प्रधान राज्य है।  कृषि के औजारों को यहाँ देवता के स्वरुप माना जाता है।

सभी कृषि औजारों को साफ़ सुथरा करके उन पर गोबर और मिट्ठी का लेप लगाया जाता है तथा आज के दिन ही किसानों द्वारा नये कृषि यंत्र खरीदें जाते है। धुप  जलाकर  सभी कृषि औजारों की पूजा पाठ करके उचित स्थान दिया जाता है।  साथ ही घर विश्वकर्मा जी की फोटो लगाकर अन्य देवी देवताओं के साथ पूजा की जाती है।  और सभी लोग भगवान से अपनी अच्छी फसल की कामना करते है।  उसके के बाद दिन में पारम्परिक भोजन ग्रहण किया जाता है।  इस तरह से कुछ उत्तराखंड में विश्वकर्मा दिवस मनाया जाता है।

विश्वकर्मा दिवस का महत्व

जैसा की हम सभी लोग जानते ही है की भगवान विश्वकर्मा को प्रथम इंजीनियर एवं वास्तुकार माना जाता है।  विश्वकर्मा औजारों के गुरु के रूप में भी पूजे जाते है।  क्यों की हर एक औजार चलने की कला उनके पास बिद्यमान थी।  कई महान स्मृतिया उनके द्वारा निर्मित है। हिन्दू पौराणिक कथाओं में विश्वकर्मा दिवस मानाने का विशेष महत्व रहा है।  चाहे महाभारत काल में देखें या रामायण काल में हर एक युग में उनके द्वारा निर्मित स्मृतिया देखने को मिल जाती है। पौराणिक युग के अस्त्र और शस्त्र भी उनके द्वारा ही निर्मित है।  भगवान कृष्ण के लिए द्वारका नगरी का निर्माण एवं रावण के सोने की लंका भी भगवान श्री विश्वकर्मा द्वारा ही निर्मित है।  आज के दिन सभी लोगों द्वारा विश्वकर्मा की पूजा कि जाती है तथा अपने कार्य क्षेत्र में  विकास  कि कामना कि जाती है।

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