किसी भी देश एवं राज्य की पहचान उसकी संस्कृति के आधार पर होती है। वहां की संस्कृति एवं रहन सहन के आचरण से ही किसी लोक स्थान के बारें में जान पाते है। उत्तराखंड प्रकृति की गोद में बसा एक भारत का खूबसूरत सा राज्य है। जो की अपनी पौराणिक संस्कृति के तौर पर विशेष स्थान रखता है। उत्तराखंड के पोशाक राज्य की संस्कृति का एक अंग है जो की उसे सदियों से ही जीवंत रखता आ रहा है। पोशाक की अलौकिक छवि में ही उत्तराखंड की सांस्कृतिक झलक छलकती है। आज के इस लेख में हम आपको उत्तराखंड के पारम्परिक पोशाक के बारें में जानकारी देने वाले है।
उत्तराखंड के पारम्परिक पोशाक के बारें में जानने से पहले बताना चाहेंगे की उत्तराखंड के पारम्परिक पोशाक को विभिन्न भागों में बांटा गया है। यहाँ पर हर महोत्सव एवं त्यौहार के उपलक्ष्य पर अलग अलग तरह के पोशाक धारण किये जाते है।
उत्तराखंड के पारम्परिक पोशाक
उत्तराखंड के पारम्परिक पोशाक | |
पुरुषों के मुख्या पोशाक | फतुई, कुर्ता, टोपी, चूड़िदार पैजाम |
महिलाओं के मुख्या पोशाक | रंग्वाली पिछौड़, आंगड़ि, घाघर, धोती, कनटोप |
छोटे बालकों के पोशाक | कनटोप, टोपी, चूड़िदार पैजाम , कुर्ता |
छोटी बालिकाओं के पोशाक | झगुली , कनटोप |
रंग्वाली पिछौड़ – शादी महोत्सव के दौरान धारण किए जाने वाले विशेष वस्त्र में से एक रंग्वाली पिछौड़ कुमाऊँ का मुख्या परिधान है। यह उत्तराखंड के कुमाऊँ महिलाओं द्वारा पहना जाता है। महिलाओं की खूबसूरती को बढ़ाती रंग्वाली पिछौड़ सामान्यता सूती कपड़ें से निर्मित किया जाता है। इसमें गुलाबी रंग के कपडे से बने गोल बूटे बनायें जाते है।
कुर्ता – कमीज का ही एक रूप होता है। जिसे पुरुषों के द्वारा पहना जाता है। दिखने में यह शेरवानी की तरह लगता है जो की हल्का ढीला एवं लम्बा होता है। सामान्यता इसे पजामें के साथ पहना जाता है।
कनटोप – शीत ऋतू में कान एवं सिर को ढकने के लिए धारण किये जाने वाले वस्त्र को कनटोप या सिरोवस्त्र भी कहते है। कनटोप ऊन से निर्मित किया जाता है और यह महिलाओं एवं बच्चों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है।
फतुई – पुरुषों द्वारा पहना जाने वाल एक पहाड़ी परिधान है। जो की कुरते एवं स्वेटर के ऊपर से धारण किया जाता हैं। सर्दियों के समय में पुरुषों द्वारा इस खास तरह के वस्त्र से ही ठंड से बचा जाता है। फतुई गर्म एवं सूती कपड़े से बनी हुई होती है। इसके साथ पुरुषों द्वारा टोपी भी पहनी जाती है।
आंगड़ि – आंगड़ि महिलाओं द्वारा धारण किया जाने वाला प्रमुख वस्त्र है। जो की ब्लाउज की तरह पहना जाता है। यह विशेष प्रकार का एक गर्म वस्त्र होता है जिसे उत्तराखंड की महिलाएं कपड़ों के ऊपर से पहना करती है।
झगुली – झगुली छोटी बालिकाओं द्वारा पहना जाने वाला एक विशेष पोशाक है। पहनने एवं चलने में सुविधाजनक होने के कारण इसे छोटी बच्चियों को पहनाया जाता है।
टोपी – टोपी उत्तराखंड की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। टोपी मुख्या रूप से पुरुषों द्वारा धारण किया जाता है। खूबसूरत सा दिखने वाले इस अकेले टोपी के धारण से व्यक्ति के पहनावें में उत्तराखंड की संस्कृति झलकने लगती है।
घाघर – घाघर उत्तराखंड में महिलाओं का मुख्या परिधान है। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं द्वारा धारण किया जाने वाला यह वस्त्र सर्दियों में पहना जाता है। इसमें सात पल्ले होते है।
धोती – धोती पहाड़ी महिलाओं का मुख्या परिधान है। साड़ियों की तरह दिखने वाली धोती सूती कपड़ें से बनी हुई होती है। धोती न केवल एक पहनावा है बल्कि यह उत्तराखंड के परम्परागत वस्त्रों में से एक है। जो की उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान का एक हिस्सा है। उत्तराखंड की महिलाओं द्वारा धोती को ही अधिक पहना जाता है।