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उत्तराखंड में बकरियों की अच्छी किस्में

by Surjeet Singh

वैसे तो उत्तराखंड में बकरियों की विभिन्न किस्में पाई जाती है।  लेकिन क्या आप जानते है की अच्छी बकरियों की कौन कौन सी किस्में होती है जिनसे आपकी आय बढ़ सकती है।  तो चलिए आज हम आपको उत्तराखंड में पाई जाने वाली बकरियों की प्रमुख प्रजातियों के बारें में जानकारी देते है।  जिससे आपको बकरियों के बारें में जानकारी प्राप्त होने के साथ साथ उन्हें पहचानने में भी मदद मिलेगी |

क्या आप जानते है की जिन बकरियों को प्राकृतिक तरीके से चराया और पाला जाता है। उन बकरियों की बीमार होने की सम्भवना न के बराबर होती है और उनके जगह जगह चरने के वजह से घास और पत्ते अनेक प्रकार की जड़ी बुटिया खाने की वजह से उनका मीट और दूध एक औषधि के रूप में काम करता है। और इन बकरियों के रेड मीट के अंदर कोलेस्ट्रॉल बहुत कम मात्रा में पाया जाता है और इन बकरियों से इंसानों के बीमार होने के चांस न के बराबर होते है

घर और बाड़े में अप्राकृतिक तरीके से पाली हुई बकरियों को इंसानों द्वारा भोजन के वेस या फ़ूड वेस और हाइब्रिड फ़ूड से बना हुवा खाना खिला कर जिसमे कुछ केमिकल मिला कर ज्यादा वजन लेने के चक्कर में उनके दूध एवं मांस के सेवन से बिमारियों के चांस ज्यादा हो जाते है और उनके मीट और दूध का सेवन करने से हार्ट अट्रेक एवं खून गाढ़ा होने के साथ कैंसर के चांस बहुत ज्यादा बढ़ जाते है।

उत्तराखंड में बकरियों की अच्छी किस्में

  • जमुनापारी बकरी
  • बरबरी बकरी
  • चंगथगी नस्ल की बकरी

जमुनापारी बकरी

बकरी की यह  प्रमुख किस्म उत्तराखंड और पर्वतीय क्षेत्रों के अलावा  उत्तर प्रदेश में अधिक पाई जाती है।  यह जमुनापारी बकरी दिखने में शरीर की बड़े आकार की होती है।  सामान्यतः यह बकरी सफ़ेद रंग की होती है और इसके शरीर पर गहरे काले रंग के धब्बे होते है।  इन बकरियों के कान लम्बें होने के साथ साथ मुड़े हुए होते है।  इस प्रजाति की बकरों की दाढ़ी होती है।  जबकि इस प्रजाति की बकरिया 57 % मामलें में एकल बच्चें को जन्म देती है।

बरबरी बकरी

बरबरी बकरी  की प्रमुख किश्में पर्वतीय राज्य  उत्तराखंड, हिमांचल के अलावा उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में अधिक पाई जाती है।  सामान्यतः इस  बकरी का कद मध्यम होता है जबकि इस बकरियों के कान छोटे और चपटे होते है।  वैसे तो इस नस्ल की बकरों का रंग सफ़ेद होता है लेकिन इसके शरीर पर भरें रंग के धब्बे पाएं जाते है।  इस प्रजाति के बकरें एवं बकरियों की मुख्या खासियत यह की इनकी दाढ़ी होती है।

चंगथगी नस्ल की बकरी

चंगथगी नस्ल की बकरिया पहाड़ी क्षेत्र के अलावा लाहौल एवं स्पीति क्षेत्र में अधिक  पाई जताई है।  मुख्या रूप से इन बकरियों का रंग सफेद, काला और भूरा होता है।  इस प्रजाति में पाई जाने वाली बकरियों का कान लम्बें और लटके हुए होते है।  इस बकरी के सींग अर्द्धवर्ताकार लम्बें  बहार की और निकलें होते है।  इस किश्म की बकरियों का वजन 15 से 18 किलोग्राम के बीच होती है।  जबकि बकरें का बजन 20 किलोग्राम  से अधिक होता है।

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