जिला टिहरी गढ़वाल पहाड़ों की खूबसूरत वादियों में स्थित एक जिला है जो की अपनी संस्कृति एवं कला, हस्तकला, रीतिरिवाजों के लिए पूरे देश विदेश में मशहूर है। टिहरी गढ़वाल अपनी पवित्र नदी एवं धार्मिक स्थलों के साथ पर्यटन स्थलों के लिए मशहूर है। जिलें को खास बनाती है इसकी तरोवताज कर देने वाली आवोहवा एवं टिहरी बांध जो की एशिया का सबसे बड़ा डेम के जाना जाता है । आज के इस लेख में हम जिला टिहरी गढ़वाल के परिचय एवं इतिहास से सम्बंधित जानकारी साझा करने वाले है।
जिला टिहरी गढ़वाल परिचय
समुंद्रतल से 1750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित टिहरी गढ़वाल प्रसिद्ध राज्य उत्तराखंड का एक पर्वतीय जिला है। ऋषि मुनियों की तपस्या भूमि एवं पवित्र नदियों का संगम टिहरी गढ़वाल एक ऐतिहासिक नगरी है। मंत्रमुग्ध कर देने वाली इसकी आवोहवा एवं प्रकृति के विहंगम दृह्य लाखों आगुन्तकों को अपनी ओर आकर्षित करते है। भौगोलिक स्थिति की बात करें तो बताना चाहेंगे की टिहरी गढ़वाल जिले का कुल क्षेत्रफल 4080 वर्ग किलोमीटर है।
जिला का मुख्या व्यवसाय कृषि है। कृषि कार्यों के माध्यम से ही जिले के लोग जीवन यापन किया करते है। पर्वतीय जिला होने के कारण यहाँ सीडीनुमा खेत पाएं जाते है। जिससे कृषि कार्यों में दिक्कतों का आना स्वभाव की बात है। जबकि कृषि यंत्रों में पारम्परिक यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। जिले की जनसँख्या अधिक तो नहीं है लेकिन जनगणना 2011 आकड़ों के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या लगभग 618,931 है।
एक पर्वतीय जिला होने के करण शिक्षा सुविधाएँ तो है लेकिन फिर भी उच्च शिक्षा के लिए जिलें के बच्चों को शहरी क्षेत्र की ओर पलायन करना पड़ता है। जिलें में उच्च शिक्षा हेतु कॉलेज तो है लेकिन आज के समय में आज भी कई गांव ऐसे है जो स्कूल ओर कॉलेज से बहुत दुरी पर है। ऐसे में बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए मजबूरन शहर की ओर भागना पड़ता है। ठीक उसी तरह से जिलें में उच्च स्वस्थ्य सुविधाएँ नहीं है जिसके कारण लोगों को स्वस्थ्य सुविधा के लिए शहर की ओर भागना पड़ता है।
जिला टिहरी गढ़वाल परिचय |
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जिले का नाम | टिहरी गढ़वाल |
राज्य | उत्तराखंड |
क्षेत्रफल | 4080 वर्ग किमी० |
समुद्रतल से उचाई | 1750 मीटर |
जनसँख्या | 618,931 |
मुख्यालय | टिहरी गढ़वाल |
भाषा | हिन्दी, कुमाऊँनी |
तहसील | घनसाली
टेहरी नरेंद्रनगर देवप्रयाग धनौल्टी प्रतापनगर जाखणीधार |
अधिकारिक वेबसाइट | https://tehri.nic.in/ |
जिला टिहरी गढ़वाल इतिहास
अन्य जिलों की भांति भी टिहरी गढ़वाल का इतिहास में आक्रमणकारियों का राज पाठ देखने को मिलता है। यहाँ पर विभिन्न राजाओं के राज की कहानियों के बारें में जानकारी मिलती है। ऐतिहासिक घटनाओं के आधार पर पता चलता है की जिला सन 888 से पूर्व छोटे छोटे गढ़ों में विभाजित था। जिनमें अलग अलग राजाओं के राज करने के सबूत प्राप्त होते है।
1803 ईस्वी तक पूरे गढ़वाल पर कनकपाल एवं इनकी पीढ़ी ने राज किया। इसी बीच के वर्षों में गोरखाओं ने गढ़वाल पर आक्रमण किए ईस्ट इंडिया कम्पनी का दबदबाव भी इसी बीच रहा। इतिहास के पन्नों के अनुसार ईस्ट इंडिया कंपनी ने कुमाऊँ, देहरादून और गढ़वाल को ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल कर दिया। जिसके बाद राजा सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी परिवर्तित करके टिहरी में स्थापित की।
जिला टिहरी गढ़वाल सांस्कृतिक परिचय
जिला टिहरी गढ़वाल सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जिला है। प्राचीन काल से ही यह पवित्र भूमि रही है किवदंती है की जिला टिहरी गढ़वाल में भगवान् ब्रह्मा ने तपश्या की थी इसी कारण इसे दिव्यात्माओं की भूमि कहा जाता है। जिलें के पवित्र स्थलों में मंदिर, धार्मिक स्थल एवं नदिया शामिल है । जिलें में आज भी पुराने घर शामिल है जिनमें वास्तुकला एवं नक्काशीदार डिजाइन देखने को मिलते है। जो की यहाँ के लोगों के कुशल कौशल को प्रदर्शित करती है।
जिलें के लोग अपनी संस्कृति को संजोते हुए विभिन्न तरह के लोकपर्व एवं मेलों का आयोजन किया करते है। सदियों से ही लोगों द्वारा अपनी संस्कृति को जीवंत रखने के लिए सांस्कृतिक कार्यकर्म किये जाते है। जिनके माध्यम से यहाँ के लोगों द्वारा अपनी संस्कृति का परिचय दिया जाता है। वैसे तो संस्कृति की झलक लोगों के रहन सहन से भी सामने आती है पारम्परिक पोशाक एवं खानपान राज्य की संस्कृति को बयां करने के लिए काफी है।
जिला टिहरी गढ़वाल से जुड़ें महत्वपूर्ण जानकारियां
जिला टिहरी गढ़वाल के प्रसिद्ध मंदिर –
- कुजांपुरी देवी मंदिर
- सेम नाग राज मंदिर
- रथी देवता मंदिर
- बूढ़ा केदार मंदिर
- ओनेश्रवर महादेव
टिहरी गढ़वाल के प्रसिद्ध मेले –
- दनगल मेला
- भुवनेश्वरी देवी मेला
- बैकुण्ठ चतुर्दशी मेला
- गिन्दी मेला
टिहरी गढ़वाल के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल –
- सुरकंडा देवी मंदिर
- ओणेश्वर महादेव मंदिर
- चन्द्रबदनी मंदिर
- कालिंदी पास ट्रेक
- टिहरी डैम
टिहरी गढ़वाल के प्रमुख नदियाँ –
- मेदगंगा
- दूधगंगा
- धर्मगंगा
- बालगंगा
- भागीरथी
- अलकनन्दा