जिला रुद्रप्रयाग उत्तराखंड राज्य के 13 जिलों में से एक है। खूबसूरत देवदार एवं चीड़ के पेड़ों से घिरा हुवा रुद्रप्रयाग पवित्र नदियों का संगम स्थल भी है। आज के इस लेख में हम आप लोगों के साथ जिला रुद्रप्रयाग का परिचय एवं इतिहास के बारें में जानकारी देने है। शिक्षाप्रद यह लेख सामान्य ज्ञान की दृष्टि से भी बनाया गया है। इसलिए विधार्थियों के लिए यह लेख खास होने वाला है। इसी लेख में हम आपको उत्तराखंड परीक्षाओं में पूछें जाने वाले प्रश्नों के बारें में जानकारी प्रदान करेंगें . इसलिए लेख के साथ अंत तक जरूर बने रहे।
जिला रुद्रप्रयाग परिचय
प्रकति की हसीन वादियों के बीच में स्थित रुद्रप्रयाग उत्तराखंड राज्य का एक जिला के रूप में प्रसिद्ध है। जिला रुद्रप्रयाग समुंद्रतल से 1000 मीटर की उचाई पर स्थित है। जिला रुद्रप्रयाग अलकनंदा एवं मंदाकनी नदी के संगम पर स्थित होने के कारण एक पर्यटन स्थल के तौर पर भी जाना जाता है। हालाँकि चार छोटे धामों में से एक केदारनाथ इसी पवित्र भूमि में स्थित है। इसलिए यह वर्ष लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। दिव्या अलौकिक शक्तियां इस स्थान को खास बनाती है। देवों को देव स्थली रुद्रप्रयाग वह जगह है जहाँ पर नारद मुनि ने कड़ी तापशय की थी जिसका जिक्र पुराणों एवं केदारखंड में भी किया गया है। वाकई में रुद्रप्रयाग देवों की तापशय भूमि है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से रुद्रप्रयाग का कुल क्षेत्रफल 1,984 वर्ग किमी है जो की सम्पूर्ण राज्य में 13 वें स्थान पर आता है। वही यदि बात की जाएँ जिलें की जनसंख्या के बारें में तो बताना चाहेंगे की 2011 की जनगणना के अनुसार जिला रुद्रप्रयाग की कुल जनसंख्या 242,285 है। जिसमें से जिले की कुल साक्षरता दर 82.09% है जो की एक अच्छी खबर के रूप में सामने आती है। अच्छे स्कूल एवं कॉलेज की सुविधाओं से परिपूर्ण इस जिलें में लगभग हर 5 पांच किलोमीटर के अंतराल में शिक्षा केंद्र मौजूद है।
यदि की जाएँ जिलें की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तो बताना चाहेंगे की ब्लॉक के आधार पर तो जिलें में स्वास्थ्य केंद्र बनायें है लेकिन मुख्या रूप से बाजारी क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य केंद्र बनायें गायें है। लेकिन फिर जिलें में स्वास्थ्य की सुविधाएँ पूर्ण नहीं है। जनता की प्रतिपुष्टि के आधार पर पता चलता है की जिलें में रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य केंद्र अधिक दुरी पर स्थित है।
जिला रुद्रप्रयाग परिचय |
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जिले का नाम | रुद्रप्रयाग |
राज्य | उत्तराखंड |
क्षेत्रफल | 1,984 वर्ग किमी |
समुद्रतल से उचाई | 1000 मीटर |
जनसँख्या | 242,285 |
मुख्यालय | रुद्रप्रयाग |
भाषा | हिन्दी, कुमाऊँनी |
तहसील | रुद्रप्रयाग
जखोली उखीमठ बसुकेदार |
अधिकारिक वेबसाइट | rudraprayag.nic.in |
जिला रुद्रप्रयाग इतिहास
जिला रुद्रप्रयाग का इतिहास प्राचीन एवं पौराणिक काल से जुड़ा हुवा है। जहा पर राजाओं के शासन के साक्ष्य भी मिलें है तो आध्यात्मिकता दिव्या शक्तियों के साक्ष्य में प्राप्त हुयें। ऐतिहासिक घटनाओं के आधार पर पता चलता है रुद्रप्रयाग में नागवंश का शासन हुवा करता था। जबकि यह भी माना जाता है की छठी शताब्दी के बाद के वषों में परमार वंश ने रुद्रप्रयाग में राज किया। रुद्रप्रयाग का अधिकांश क्षेत्र टिहरी गढ़वाल के अधीन था। रुद्रप्रयाग पर राजा सुदर्शन व उनके वंशजों का अधिकार भी हुवा करता था। आजादी के बाद पौड़ी, टिहरी एवं चमोली को काट के सन 16 सितंबर 1997 में रुद्रप्रयाग जिला के गठन किया गया।
जबकि पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है की नारद मुनि जी ने रुद्रप्रयाग में एक पैर में खड़े होकर कड़ी तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर भगवन भोले नाथ जी ने उनकों दर्शन देकर वीणा दी। इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया गया। जिसका नाम रुद्रनाथ मंदिर रखा गया और किवदंती है की इसी स्थान को बाद में रुद्रप्रयाग के नाम से जाना जाने लगा। रुद्रप्रयाग पंच प्रयागों में से एक है। महाभारत काल में रुद्रप्रयाग को रूद्रावर्त कहा गया है।
जिला रुद्रप्रयाग से जुड़ें महत्वपूर्ण जानकारियां
रुद्रप्रयाग के प्रसिद्ध मंदिर –
- कालीमठ
- त्रियुगीनारायण
- इंद्रासणी मनसा देवी
- मदमहेश्वर
- तुंगनाथ मंदिर
- ओमकेरेश्वर मंदिर
रुद्रप्रयाग के प्रसिद्ध मेले – जाख मेला, बैशाखी मेला, भतूज मेला। माथियाणा मेला,
रुद्रप्रयाग के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल – केदारनाथ, चोपता, मद्महेश्वर मंदिर , धारी देवी मंदिर
रुद्रप्रयाग के प्रमुख नदियाँ – अलकनंदा और मंदाकिनी,
रुद्रप्रयाग जिला से सम्बंधित अक्सर पूछें जाने वाले सवाल
Q 1. रुद्रप्रयाग जिले का जनसँख्या घनत्व कितना है?
Ans – रुद्रप्रयाग जिले का जनसँख्या घनत्व 120/वर्ग किमी है.
Q 2. रुद्रप्रयाग जिले का लिंगानुपात कितना है?
Ans – रुद्रप्रयाग जिले का लिंगानुपात 1120/1000 है.
Q 3. रुद्रप्रयाग जिले की साक्षरता कितनी है?
Ans – रुद्रप्रयाग जिले की साक्षरता 82.09% है.