देवभूमि उत्तराखंड में अनेक से प्रसिद्ध मंदिर हैं। जिनमे से एक कैची धाम मंदिर नैनीताल हैं। यह मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले के कैची गांव में बसा हुआ है | यह मंदिर भवाली (अल्मोड़ा मार्ग की ओर) से 19 किमी0 पर व नैनीताल पर्यटन क्षेत्र से 20 किमी0 पर स्थित है। यह माना जाता है कि यहां पर आने वाले श्रद्धालु अगर सच्चें मन व भक्ति भावना से कामना करते हैं तो उनकी मनो कामना जरूर पूर्ण होती है। यह मंदिर मुख्य रूप से हनुमान जी का है| इस मंदिर कि स्थापना बाबा नीम करोली महाराज ने कि थी| आइये जानते है नीम करोली महाराज कौन थे और इन्होने हनुमान जी का ही मंदिर क्यों बनवाया के बारे में आपको जानकारी साझा करने वाले है।
बाबा नीम करोली कौन थें
महाराज 20वी सदी के महानतम साधु सज्जन थे। नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। नीब करौरी महाराज का जन्म लगभग 1900 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपूर के गाँव में हुआ था। बाबा को 17 वर्ष कि किशोर अवस्था में ही ईश्वर के बारे में ज्ञान प्राप्त हो गया था | महाराज जी का विवाह 11 वर्ष कि उम्र में ही कर दिया गया था। जिसके बाद बाबा के दो पुत्र और एक पुत्री थी। बाबा ने प्रथम बार कैची गाँव का भ्रमण किया और अपने मित्र पूर्णानंद के साथ आश्रम बनाने का विचार किया। अतः इस आश्रम को बनाने में बाबा 1964 में सफल हुए | बाबा को हनुमान जी का दूसरा रूप माना जाता हैं क्योकि श्री राम भक्त हनुमान जी इन्हे स्वयं अपने दर्शन दिए। तभी से बाब नीम करोली ने आपने आप को हनुमान जी को समर्पित कर दिया | किवदंती हैं की नीम करोली बाबा ने अपने पुरे जीवनकाल शैली 108 हनुमान मंदिर कि स्थापना करवाई।
कैची धाम 15 जून समारोह मेला
15 जून को कैची धाम मंदिर स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मेले का आयोजन किया जाता है। बड़े ही प्रेम एवं भक्ति भावना से मंदिर को सजाया जाता है। साज सज्जे की तैयारियां इसकी कुछ दिन पहले ही बड़े जोर सोर से होती है। पवित्र मंदिर को फूलो व लइटों की सहायता से सजाया जाता है। समारोह के दौरान यहा लगभग डेढ लाख श्रद्धालु उपस्थित होते है। इस दिन श्रद्धालु बहुत अधिक व बहुत लम्बी लाइनों से बाबा नीम करोली महाराज के दर्शन के लिए आते है।
बाबा का नाम नीम करोली कैसे पड़ा
बाबा एक बार रेलगाड़ी के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे। उनके पास टिकट उपलब्ध न होने के कारण उन्हें टीटी ने अगले स्टेशन नीम करोली उतारने का फैसला किया। स्टेशन के आते ही बाबा को उतार दिया गया । बाबा ने अपना सामान लिया व स्टेशन पर बैठ गए। उसके बाद रेलवे कर्मचारी ने रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखा दी। इसके बाद भी ट्रेन अपने स्थान से हिल भी नहीं पाई। काफी देर तक ऐसे ही चलता रहा फिर ट्रेन में बैढे एक यात्री ने बाबा को पहचान लिया और फिर टीटी से माफ़ी मांगने के लिए कहा। टीटी के माफ़ी मांगते हि बाबा को ट्रेन में बैठने के लिए निवेदन किया गया जिससे बाबा नीम करोली के ट्रेन में बैढ़न के तुरंत बात ट्रेन चल पड़ी।
एक बार भंडारा समारोह के दौरान अत्यधिक भीड़ होने से भंडारे में प्रसाद कि कमी हो गयी जिसके दौरान बाबा नीम करोली महाराज जी ने कुछ श्रद्धालु द्वारा लाया गया नदी से जल घी में परिवर्तित कर दिया जिससे वहा आये हुए श्रद्धालु आश्चर्यचकित रह गए तभी से बाबा को चमत्कारी बाबा भी कहा जाने लगा ।
चमत्कारी बाबा नीम करोली के भग्त देश नहीं विदेश तक है
नीम करोली महाराज के भग्त देश नहीं विदेश तक है उनमे से एक एप्पल कंपनी के मालिक जॉब्स , हॉलीवुड स्टार जूलिया रॉबर्ट्स व फेसबुक के मालिक मार्क मार्क ज़ुकेरबर्ग इन सभी का कहना है की कैची धाम कि यात्रा करने के बाद इनका जीवन सफल हुआ |
बाबा नीम करोली महाराज की मृत्यु कब और कैसे हुई
नीब करैरी महाराज बाबा का समाधी स्थल नैनीताल के निकट पंतनगर वृंदावन पहाड़ो में स्थित आश्रम मे है। बाबा की मृत्यु 11 सितंबर 1973 में आनन – फानन के अस्पताल में हुई थी। बाबा का अचानक स्वाश्थ ख़राब होने के कारण उनके भक्तो ने उन्हे नजदीकी स्वास्थ्य घर में दाखिल कराया गया। जब बाबा को डॉक्टर द्वारा आक्सीजन मास्क पहनाया गया तो बाबा ने आक्सीजन मास्क को उतरा कर फेक दिया और कहा कि मेरे जाने का समय आ गया है मुझे अब जाना होगा। बाबा ने वहा आएं भक्तों से कहा कि मेरे लिए तुलसी व गंगा जल शीग्र लेकर आएं। जब बाबा को तुलसी व गंगा जल लाके दिया गया तो बाबा ने उसे ग्रहण कर अपने शरीर से आत्मा का त्याग कर दिया।