जिला हरिद्वार परिचय एवं इतिहास

जिला हरिद्वार परिचय एवं इतिहास

जिला हरिद्वार उत्तराखंड के पवित्र एवं ऐतिहासिक जगहों में एक है जोकि एक तीर्थ नगरी के रूप में भी जानी जाती है। हरिद्वार उन शहरों में से एक है जहाँ भारतीय संस्कृति और सभ्यता की बहुरूपदर्शिका छवि  प्रस्तुत होती है।   गढ़वाल क्षेत्र में स्थित यह जिला शिवालिक पर्वतों से घिरा हुवा है।  यही वह जगह है जहाँ से पवित्र नदी गंगा शहर की और प्रवेश करती है।  आज के इस  लेख के माध्यम से हम आप लोंगो के साथ उत्तराखंड का जिला हरिद्वार के परिचय एवं इतिहास से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारिया साझा कर रहे है।  यह लेख विधार्थियों के लिए खास होने वाला है क्यों की इस लेख में हम आपको हरिद्वार से सम्बंधित पूछें जाने वाले प्रश्नों के बारें में भी बताने वाले है।

जिला हरिद्वार परिचय

उत्तराखंड के खूबसूरत से शिवालिक पहाड़ियों  के मध्य में स्थित हरिद्वार प्रदेश का एक जिला है जोकि समुंद्रतल से  249.7 मीटर की उचाई पर बसा हुवा है ।  पवित्र नदी गंगा और आस्था से भरें  यहाँ के मंदिर  मुख्या आकर्षकों में से एक है। आर्थिक रूप से समृद्ध यह जिला 2360 वर्ग किमी० के क्षेत्रफल में फैला हुवा है।  उत्तराखंड का एक मात्र जिला है जहाँ पर पवित्र नदी गंगा एवं मंदिरों के अलावा उत्तराखंड संस्कृति की अलौकिक छवि एक ही स्थान पर देखने को मिलती है।  पवित्र नदी गंगा में संध्या वादन के समय मंदिरों का खूबसूरत  एवं ज्योति से  चमकती आरती थालियों का मनमोहक प्रतिबिंब देखने को मिलता है।  वही दूर के पहड़ियों पर सूर्यास्त की लालिमा के दर्शन किये जा सकते है।

सन 28  दिसंबर 1988  को जिला हरिद्वार का गठन किया गया।  इससे पहले यह जिला सहारनपुर का एक हिस्सा था लेकिन गठन के तुरंत बाद इसे गढ़वाल मण्डल में शामिल किया गया।  आज के समय में लगभग  1,890,422  लोग जिलें में निवास करते है।  जबकि जिलें की जनसँख्या से  73.43% साक्षर है।  जिलें में कुल 11  विधानसभा एवं 1  लोकसभा क्षेत्र के अलावा 4  तहसील मौजूद है।

एक मैदानी क्षेत्र होने के कारण जिलें में कृषि के पर्याप्त साधन है।  लगभग सभी फसलों की अच्छी पैदावार जिलें में की जाती है।  गंगा नदी के निकट होने कारण सिंचाई के पर्याप्त साधन  मौजूद है।  एक शहरी क्षेत्र के कारण जिलें में कृषि के परम्परागत एवं नई तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

जिला हरिद्वार परिचय

जिले का नाम हरिद्वार
राज्य उत्तराखंड
क्षेत्रफल 2360 वर्ग किमी०
समुद्रतल से उचाई 249.7 मीटर
जनसँख्या 1,890,422
मुख्यालय गोपेश्वर नगर
भाषा हिन्दी, कुमाऊँनी, गढ़वाली
तहसील हरिद्वार

रूरकी

भगवानपुर

लक्सर

अधिकारिक वेबसाइट https://haridwar.nic.in/hi/
जिला हरिद्वार पौराणिक  इतिहास

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले हरिद्वार को ईस्वर का प्रवेश द्वारा भी कहा जाता है।  पौराणिक कहानियों के आधार पर किवदंती है की राजा भगीरथ द्वारा अपने पूर्वजों को मुक्ति प्रदान करने के लिए पवित्र गंगा नदी को धरती पर लाएं थे।  इस तरह यह  ईस्वरों से सीधा तलूक रखता है।  हरिद्वार की पवित्रता के पीछें के राज में बताया जाता है की भगवान विष्णु और महेश के साथ ब्रह्मा जी अपनी उपस्थिति  से पवित्र किया।

हरिद्वार वह जगह है जहाँ से पवित्र नदी गंगा शहर की ओर प्रवेश करती है। हर की  पौड़ी में पत्थर की दीवारों पर भगवान विष्णु के पवित्र पैरों का चित्रण मिलता है जिन्हें गंगा नदी की लहरें हमेशा छूती हुई निकलती है।  हरिद्वार की पवित्र का उल्लेख प्राचीन शास्त्रों में भी देखने को मिलता है।  प्राकृतिक सौन्दर्यता की अनोखी छवि एवं भारतीय संस्कृति को जीवंत रखता महापर्व कुम्भ हरिद्वार को विशेष महत्व प्रदान करती है ।

जिला हरिद्वार सांस्कृतिक परिचय

हरिद्वार उन जगहों में से एक है जहाँ पर उत्तराखंड की संस्कृति के साथ भारतीय संस्कृति की अनूठी एवं अलौकिक छवि देखने को मिलती है। कुम्भ मेला जो की हर 12 वर्ष के अंतराल में आयोजित होता है।  जो की लाखों लोगों का जमवाड़ा  प्रस्तुत करता है। भगवान शिव जी के भक्तों द्वारा हर साल कांवर यात्रा हर साल आयोजित की जाती है।  जिसमें गंगा एवं गोमुख के पवित्र जल को लाया जाता है।  ठीक इसी तरह उत्तराखंड के मेलें एवं लोकपर्वों की  शोभा बढ़ाते  यहाँ के लोग  विभिन्न पर्व मनाया करते है।

जिला हरिद्वार से जुड़ें महत्वपूर्ण जानकारियां

हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिर –

  1. पवनधाममंदिर
  2. वैष्णो देवीमंदिर
  3. दक्ष महादेवमंदिर
  4. माया देवीमंदिर
  5. नीलेश्वरमंदिर

 हरिद्वार के प्रसिद्ध मेले –  

1.    कुम्भ मेला

2.      कांवर यात्रा

 हरिद्वार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल –

  1. गंगा आरती
  2. चंडी देवी मंदिर
  3. वैष्णो देवी मंदिर
  4. राजाजी नेशनल पार्क
  5. भारत माता मंदिर

हरिद्वार के प्रमुख नदियाँ –

  1. गंगा

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