देवभूमि उत्तराखंड अपने सांस्कृतिक विरासत की अलौकिक कहानियों के बलबूते पर पुरे हिदुस्तान में एक अलग पहचान बनाई बैठी है। अपने पारम्परिक रीती रिवाजों और रश्मों के मनाई जाने के कारण इसकी सांस्कृतिक पूरे विश्व में मशहूर है। यहाँ पर प्रकृति का शुक्रगुजार करने एवं देवी देवताएँ के आह्वान के लिए अनेकों प्रकार के त्यौहार एवं लोकपर्व मनाने का रिवाज सदियों रहा है। उन्ही रस्मों और पर्वों को संचालित करते उत्तराखंड के निवासी त्यौहारों को मनाया करते है। उन्ही त्यौहारों में से एक है उत्तराखंड का लोकपर्व घुघुतिया। जिसमें सदियों से चली आ रही परम्परा और देवभूमि की मिट्टी की खुशबू झलकती है। उत्तराखंड क्लब के आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड का लोकपर्व घुघुतिया के बारें में जानकारी साँझा करने वाले है। घुघुतिया पर्व महोत्सव के बारें में जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना। आशा करते है की आपको ये लेख जरूर पसंद आएगा।
घुघुतिया पर्व क्या होता है
घुघुतिया पर्व जैसे की नाम से ही पता चलता है की यह पर्व उत्तराखंड की प्रमुख पकवान घुघुतिया से सम्बंधित होगा। बताना चाहेंगे की घुघुतिया पर्व जिसे अन्य जगह मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। उत्तराखंड का प्रमुख लोकपर्व है जो की बच्चों और कौओं के साथ घुघुतिया से सम्बंधित है इस त्यौहार के माध्यम से बच्चों और कौओं के बीच एक विशेष संवाद को माना जाता है। घुघुतिया पर्व को गढ़वाल क्षेत्र में खिचड़ी सक्रांति के नाम से जाना जाता है। आज सभी घरों में पारम्परिक पकवान बनायें जाते है और छोटे बच्चों के माध्यम से मुख्या पकवान घुघुतिया के साथ अन्य विभिन्न पकवानों को कौओं को खिलाने का रिवाज है। आज के दिन सभी बच्चों द्वारा कौओं को आवाज लगाकर घुघुतिया पकवान खाने के लिए पुकारा जाता है।
घुघुतिया पर्व कब मनाया जाता है
संक्रांति जब भगवान सूर्यदेव किसी नये राशि में प्रवेश करते है तो उस दिन को संक्रांति कहा जाता है और उत्तराखंड में हर संक्रांति को त्यौहार मनाया जाता है। जिस दिन भगवान सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते है उस दिन मनाये जाने वाले त्यौहार को मकर संक्राति या उत्तराखंड में घुघुतिया पर्व के नाम से जाना जाता है। और हर वर्ष यह त्यौहार 14 या 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है। उत्तराखंड के साथ साथ पुरे भारतवर्ष में इस पर्व को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। देश के अन्य राज्यों में आज के दिन रिश्तेदारों में मिठाई बाटने की रसम निभाई जाती है।
घुघुतिया पर्व उत्तराखंड में किस तरह से मनाया जाता है।
हर साल मनाया जाने वाला घुघुतिया पर्व उत्तराखंड में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। अपनी पौराणिक विरासत को संजोता यह पर्व बच्चों और कौओं के संवाद को व्यक्त करता है। आज के दिन उत्तराखंड के सभी घरों में पारम्परिक पकवान के माध्यम से दिन की शुरुवात की जाती है। छोटे बच्चें आज के दिन बड़े ही खुश होते है। क्यों की आज के दिन उनके द्वारा कौओं के लिए घुगुती बनाया जाता है। सुन्दर सी दिखने वाली माला जिसे छोटे बच्चें अपने गले में डाल कर पूरा गांव घुमा करते है। सूरज के उगते ही सभी बच्चों द्वारा अपने घर के आँगन से कौओं को एक मधुर गीत के माध्यम से घुघुतिया पकवान के साथ अन्य पकवानों को खाने के लिए बुलाया जाता है।
घुघुतिया पर्व का महत्व
घुघुतिया पर्व का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ साथ धार्मिक महत्व भी माना जाता है। उत्तराखंड में हर साल मनाएं जाने वाले लोकपर्व घुघुतिया पर्व की मान्यता है की आज के दिन कौओं को घुगते खिलाने से परिवार में सुख समृद्धि के साथ देवी देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है। किवदंती है की पैतृक पूर्वज कौओं के रूप में पधारकर परिवार को आशीर्वाद देते है। इसलिए कौओं के द्वारा भोजन ग्रहण करना बड़ा ही शुभ माना जाता है।