हिमालय की तलहटी एवं खूबसूरत पहाड़ों के मध्य में स्थित चमोली उत्तराखंड राज्य का एक पर्वतीय जिला है जो की अपनी संस्कृति, कला एवं पर्यटन स्थलों के लिए पूरे देश विदेश में मशहूर है। सर्दियों में दूर पहाड़ी पर स्थित सफ़ेद बर्फ की चादर के मनमोहक दृश्य एवं गर्मियों में मंत्रमुग्ध कर देने वाली इसकी आवोहवा से हर एक पर्यटक परिचित है। दूरवर्ती क्षेत्र में बसे गांव एवं प्राचीन घरों के आकर्षक वस्तु एवं शिल्पकला आज अभी अपनी मजबूती एवं ऐतिहासिक महत्व की जीवंत रखती है।
समुंद्रतल से 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चमोली फूलों की हजारों किस्में एवं विश्व धरोहर स्थल ( फूलों की घाटी ) के लिए देश विदेशों तक प्रसिद्ध है। चार छोटे धामों में से एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनाथ मंदिर भी चमोली जिलें में ही है। हिमालय से बहती पवित्र नदिया इस क्षेत्र के गौरव की बढ़ती है एवं प्राकृतिक खूबसूरती इसके राहों से प्रदर्शित होती है। एक समृद्ध जिला होते हुए यह 8030 वर्ग किमी० के क्षेत्रफल में फैला हुवा है। जिला का मुख्यालय गोपेश्वर नगर है। यदि बात की जाएँ जिला चमोली के जनसँख्या के बारें में बताना चाहेंगे की सन 2021 के आकड़ों के अनुसार चमोली जिलें की कुल जनसँख्या लगभग 123,978 है।
एक कृषि प्रधान राज्य का हिस्सा होने के कारण जिला का मुख्य व्यवसाय कृषि है। कृषि कार्यों के माध्यम से ही जिलें के लोग जीवन यापन किया करते है। पर्वतीय जिला होने के कारण कृषि कार्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दूरवर्ती गांव में आज भी परम्परागत कृषि यंत्र उपयोग में लाएं जाते है। गेहूँ, जौ, तिलहन, दालें, सरसों के अलावा चावल जिले के मुख्या कृषि उत्पादों में से एक है। मौसम पर निर्भरता एवं सिंचाई के साधनों के अभाव कृषि निम्न उत्पादकता का मुख्या कारण है।
जिला के अधिकांश गांव आज के समय में भी शिक्षा एवं स्वस्थ्य जैसे मुख्या सुविधाओं से वंचित है। जिसका मुख्या कारण है सड़क की असुविधाएं एवं गावों का दूर पहाड़ी पर स्थित होना। फिर भी बाजारी एवं ब्लॉक मुख्यालय के क्षेत्र में स्वस्थ्य केंद्र बनायें गए है। उच्च शिक्षा एवं स्वस्थ्य के लिए जिला वासियों को शहर की ओर भागना पड़ता है।
जिला चमोली परिचय |
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जिले का नाम | चमोली |
राज्य | उत्तराखंड |
क्षेत्रफल | 8030 वर्ग किमी० |
समुद्रतल से उचाई | 4329 मीटर |
जनसँख्या | 123,978 |
मुख्यालय | गोपेश्वर नगर |
भाषा | हिन्दी, कुमाऊँनी, गढ़वाली |
तहसील | चमोली. जोशीमठ. पोखरी. कर्णप्रयाग. गैरसैण. थराली. देवाल. नारायाणबगड़. आदिबद्री. जिलासू. नन्दप्रयाग. घाट. |
अधिकारिक वेबसाइट | https://chamoli.gov.in/hi/ |
जिला चमोली इतिहास
चमोली जिलें का इतिहास प्रचीन एवं पौराणिक काल के साथ तालुक रखता है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार बताया जाता है की गढ़वाल पहले विभिन्न गढ़ों में विभाजित था। जिनमें प्रायः राजा आंदोलन करके गढ़ों को हड़पा करते थे। जिनमें से एक चमोली जिल भी है। पुराणों में चमोली के हिस्से को केदार-खण्ड कहा गया है जिस,जिसमें भगवन शिव जी का निवास स्थान माना जाता है। जिसका उल्लेख ऋग्वेद और अन्य वैदिक साहित्य में किया गया है।
पवार वंश के पहले शासक राजा भानु प्रताप माने जाते है। इतिहाकारों के अनुसार राजा भानु प्रताप ने अपनी राजधानी के रूप में चंदपुर-गढ़ी की स्थापना की। जिसे गढ़वाल के 52 गढ़ों से सबसे सुविधाजनक एवं मजबूत बनाया गया। हालाँकि 1803 के भूकंप ने राज्य की आर्थिक को बहुत नुकशान पहुंचाया।
1815 तक गढ़वाल के अधिकांश गढ़ों पर गोरखाओं का शासन हो चूका था। अग्रेंजो के शासन में जिला चमोली पौड़ी का एक तहसील था। 24 फरवरी, 1 9 60 को तहसील चमोली को एक नया जिला बनाया गया। जिसके बाद इसके कुछ क्षेत्र को ब्लॉक एवं तहसील के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
जिला चमोली से जुड़ें महत्वपूर्ण जानकारियां
चमोली के प्रसिद्ध मंदिर –
- गोपेश्वर
- वसुधारा
- रुद्रनाथ मंदिर
- आदि बद्री
- भविष्य बद्री
- हेमकुंड साहिब
चमोली के प्रसिद्ध मेले –
- लड़ी धुरा मेला
- पूर्णागिरि मेला
- बग्वाल मेला
- मानेश्वर मेला
चमोली के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल –
- बद्रीनाथ
- फूलों की घाटी
- विष्णुप्रयाग
- हेमकुंड साहिब
- जोशीमठ
चमोली के प्रमुख नदियाँ –
- सरस्वती
- गंगा
- नंदकिनी
- धौली गंगा