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बकरियों की देखभाल कैसे करें

by Surjeet Singh

बकरियों की देखभाल करना बकरी पालकों के लिए अनिवार्य कार्य हो जाता है।  बरसात के मौसम में बकरियों में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है इसलिए बरसात में बकरियों का ख्याल रखना जरुरी कार्य होता है।  आज के इस लेख में हम आपको बरसात के समय बकरियों की देखभाल कैसे करें विषय से सम्बंधित जानकारी साँझा करने वाले है।

बकरियों की देखभाल कैसे करें

आज के समय में बकरी पालन व्यवसाय  से अच्छा मुनाफ है।  यदि ठीक तरह से देखभाल की जाएँ तो बकरी पालन से आप लाखों रूपए भी कमा सकते है।  इसलिए बकरियों की देखभाल करना हर एक बकरी पालक  के लिए जरुरी है।  बकरियों की ठीक से देखभाल करने के लिए आप निम्न तरह के कार्य कर सकते है।

गोशाला के अंदर बाड़ी का निर्माण करें

उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में अक्सर गोशाला के अंतर्गत बकरिया एवं अन्य पालतू जानवर बांधें जाते है।  जगह की कमी के कारण वह एक दूसरे के करीब होते है और उनके लड़ने की सम्भवना ज्यादा होती है।  छोटे पशु जैसे बकरिया एवं इनके बच्चों का बड़े पशुओं के पैर के नीचे आने का खतरा रहता है।  जिससे कई बार छोटे पशुओं की दब कर  मृत्यु हो जाती है।  ऐसी स्थिति को मध्य नजर रखते हुए छोटे पशुओं के लिए अलग गोशाला या गोशाला के अंदर बाड़ी का निर्माण करें ताकि वह सुरक्षित रह सकें।

ताजें पानी का सेवन कराएं

ग्रामीण इलाकों में अक्सर पालतू जानवरों की परवरिश ठीक से नहीं की जाती है।  जिसके चलते वह बीमार हो जाते है।  इस अवस्था से बचने के लिए सामान्य कार्य जैसे पशुओं का पीने का पानी, अपने पालतू पशुओं को हमेसा ताजा पानी पिलाना चाहियें।  बकरियों  की उम्र के हिसाब से सर्दियों में उनके लिए गर्म पानी की  व्यवस्था करनी चाहियें।

गोशाला को साफ़ सुथरा रखें

गोशाला बकरियों एवं अन्य पालतू जानवरों का घर होता है। इसलिए हमेशा उनके रहने के  स्थान को साफ़ सुथरा रखना चाहियें।  वैसे तो  गोशाला को एक दिन में दो बार साफ़ करना चाहियें लेकिन समय की कमी में आप एक दिन एक बार तो जरूर  कर सकते है।  इससे गोशाल ज्यादा गन्दा नहीं होगा और पालतू पशु वहां आराम से रह सकते है।  सर्दियों के समय में छोटे जानवरों को अधिक ठण्ड लग सकती है।  इसलिए उनके घर में चीड़ की घास एवं अन्य सूखी चीजें रख सकते है।  बरसात में  गंदे पानी और कीचड़ के कारण मछर उत्पन्न हो जाते है।  ऐसी स्थिति में गोशाल के बहार धुवां जरूर लगाना चाहियें।  इससे मछर उन्हें तंग नहीं कर पाएंगे .

जंगल में चुगते समय रखें विशेष ख्याल

ग्रीष्म ऋतू में अपने बकरियों का ख्याल ज्यादा रखना चाहियें।  ग्रीष्म ऋतू में पर्वतीय इलाकों एवं उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार के जंगली मशरूम  उत्पन्न होते है।  जिनमे से बहुत तो पशुओं के खाने के लिए सही होते है लेकिन कुछ ऐसे मशरूम की प्रजातियां भी होती है जिनका सेवन यदि कोई पालतू पशु करें तो उनका स्वस्थ्य ख़राब हो सकता है यहाँ तक की वह मर भी सकते है। इसके अलावा जंगलों में सांप भी  पाएं जाते है जो   पालतू जानवरों को खतरा पंहुचा सकते है।  ऐसी स्थितियों में अपने पशुओं का ख्याल जरूर  रखना चाहियें।

बकरियों पर लगने वाले रोगों को पहचाने

मौसम के चलते एवं विभिन्न नए रोगों के आने से बकरिया इन रोंगो से ग्रस्त हो सकती है।  इसलिए अपनी बकरियों की समय समय पर जाँच  जरुरु करनी चाहियें ताकि उन पर लगने वालों को रोगों को आसानी से पहचाना जा सकें और रोकथाम का कार्य शीघ्र किया जा सकें।  छोटे शिशु बकरिया का ख्याल जरूर रखनी चाहियें।  वह किसी भी रोग से तुरंत ग्रस्त हो सकते है।

अपने पशुओं से प्यार करें

जब तक हम किसी भी कार्य को प्यार नहीं कर लेते  तब तक उस कार्य को हम ठीक से नहीं कर पाते है।  इसलिए जब कभी भी बात ख्याल रखने की आती है तो प्यार एवं अपनेपन का एहसास जरूर होता है।  हमें हमेशा अपने पालतू पशुओं से प्यार करना चाहियें।  वह भी हमारे परिवार के हिस्से होते है इसलिए उनका ख्याल रखना हमारा कर्तव्य होता है।  अपने पशुओं को हमेशा अपनेपन का एहसास दिलाएं।  तभी हम उनका अच्छे से ख्याल रख पाएंगे।  और जब हमारे  पास उनके प्रति अपनेपन का एहसास होता है तो वह भी हमारी जिंदगी के साथ जुड़ जाते है।  जिससे हम उनका ख्याल आराम से रख पाएंगे।

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