आज हम आप लोगों को पहाड़ में बकरी पालने से सम्बंधित जानकारी देने वाले है
पहाड़ों में बकरी पालना बड़ा आसान है। क्यूंकि वहां पर अपार जंगल पेड़ पौधें और झाडिया है। वहां की ग्रामीण महिलाएं और युवाओं को सिर्फ बकरी चराने का काम करना है जो की इस प्रकार से है।
गर्मियों में –
गर्मियों में बकरियों को दो टाइम चराना पड़ता है जैसे सुबह 6 बजे से 11 बजे तक और शाम को 4:30 से 6:30 बजे तक चराया जाता है।
सर्दियों में –
सर्दियों में बकरियों को सुबह 11:30 से शाम के 5 बजे तक चराया जाता है।
पहाड़ों में मौसम ख़राब होने के समय बकरियों के लिए चारे की व्यवस्था कैसे करें।
पहाड़ों में बकरिया प्राकृतिक तरीके से जंगल में जंगली पेड़ों की पत्तिया और घास एवं झाडिया खाती है। अगर किसी समय मौसम ख़राब हो या जंगल में आग लगने के समय उनकों पेड़ों की पत्तिया एवं घर में गाय और भैंस के लिए रखें भूसे को भी खिला सकते है।
बकरियों को उत्तराखंड में किस तरह से रखा जाता है।
उत्तराखंड के अंदर बनायें गएँ पुराने घरों में एक गेट होता है जो हर एक घर में बनाया जाता है। बकरिया इसके अंदर रखें जाते है। जिससे उत्तराखंड में उन्हें बाड़ा बनाने का खर्चा नहीं होता है।