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जिला बागेश्वर परिचय एवं इतिहास

by Surjeet Singh
bageswar parichay or itihas

संस्कृति की अनोखी छवि एवं मंत्रमुग्ध कर देने वाली बागेश्वर की आवोहवा वाकई में इस जगह को बहुत खास बनाते है। हिमालय की गोद एवं पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में बसा बागेश्वर देवों की जन्म भूमि के रूप में भी जाना जाता है। उत्तराखंड की संस्कृति एवं परम्पराओं को संजोता यह जिला आर्थिक रूप से भी एक समृद्ध जिला है। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगो को उत्तराखंड का जिला बागेश्वर से परिचय  कराना चाहते है।  इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।

जिला बागेश्वर परिचय

बागेश्वर भारत के पर्वतीय राज्य उत्तराखंड का एक जिला है।  समुंद्रतल से 935 मीटर की ऊचाई पर स्थित बागेश्वर उत्तराखंड संस्कृति, रीतिरिवाज, एवं प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए प्रसिद्ध है।  उत्तराखंड के 13  जिलों में से एक बागेश्वर कुल  2,302 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला हुवा है।  उत्तराखंड के मध्य हिस्से में स्थित  बागेश्वर जिलें का मुख्यालय बागेश्वर शहर में मौजूद है।  जिले के  दक्षिण-पश्चिम में अल्मोड़ा जिला तथा उत्तर-पश्चिम में चमोली जिला स्थित है।  शहर की मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवोहवा एवं दूरवर्ती पहाड़ों पर स्थित सर्दी की बर्फीली सफ़ेद चादर पर्यटकों को आकर्षित करती है।  यदि जनसँख्या की बात की जाएँ तो जिलें की कुल जनसंख्या लगभग 259,898  है और जिलें में 2 विधानसभा क्षेत्र एवं 1 लोकसभा क्षेत्र मौजूद है।

जैसा की हम सभी जानते ही है की भारत की अधिकांश जनसँख्या कृषि पर निर्भर है।  कृषि कार्यों को ही प्राथमिकता दी जाती है।  इसलिए लोगों का मुख्या व्यवसाय कृषि है।  कृषि कार्यों के माध्यम से  ही जिले के लोग जीवन यापन किया करते है।  पर्वतीय जिला होने के कारण यहाँ सीडीनुमा खेत पाएं जाते है।  जिससे कृषि  कार्यों में दिक्कतों का आना स्वभाव की बात है। लेकिन लोगों द्वारा अब धीरे धीरे परम्परागत कृषि यंत्रों को छोड़ कर नई तकनीकों को अजमाया जा रहा है।  जबकि देखा जाएँ तो भारत की कृषि को मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है।

जिलें में शिक्षा सुविधाएँ तो है लेकिन फिर भी  उच्च शिक्षा के लिए जिलें के बच्चों को शहरी क्षेत्र की ओर पलायन करना पड़ता है। पहाड़ी क्षेत्र होने से आज के समय में आज भी कई गांव ऐसे है जो स्कूल ओर कॉलेज से बहुत दुरी पर है।  ऐसे  में बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए  मजबूरन शहर की ओर भागना पड़ता है। दूरवर्ती गांव में सड़क की असुविधा के कारण वहां के लोग स्कूल  एवं स्वस्थ्य की मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित है।

जिला बागेश्वर परिचय

जिले का नाम बागेश्वर
राज्य उत्तराखंड
क्षेत्रफल 2,302 वर्ग किमी
समुद्रतल से उचाई 935 मीटर
जनसँख्या 259,898
मुख्यालय बागेश्वर
भाषा हिंदी, कुमाऊँनी
तहसील बागेश्वर

गरूर

कपकोट

कांडा

काफलीगैर

डुग नाकुरी

अधिकारिक वेबसाइट https://bageshwar.nic.in/hi/
जिला बागेश्वर इतिहास

उत्तराखंड देवभूमि के नाम से यूँ ही नहीं जानी जाती है।  पौराणिक एवं प्राचीन कथाओं में इसका उल्लेख देखने मिलता है।  बागेश्वर जिला का इतिहास भी उन्ही साक्ष्यों पर आधारित है।  माना जाता है की बागेश्वर पहले अल्मोड़ा जिलें का हिस्सा था।  जिसे 15 सितम्बर 1990 में पृथक करके एक नया जिला बनाया गया।  बागेश्वर का पौराणिक इतिहास दिव्या आत्माओं से जुड़ा हुवा है।  बताया जाता है की साधू और देवी देवता भगवान शिव जी का ध्यान लगाने के लिए यहाँ आया करते थे।  भगवान शिव जी भी उसी स्थान पर शेर का रूप धारण कर विराजमान थे।  बागेश्वर प्राचीन समय से ही पवित्र भूमि मानी जाती है।

जबकि इतिहासकारों के अनुसार बागेश्वर में 1450  ईस्वी के दौरान चंद राजवंश के राजा लक्ष्मी चंद का शासन था।  जिन्होंने बागेश्वर में मंदिर की स्थापना की।    तब से बागेश्वर क्षेत्र का पौराणिक इतिहास में बड़ा महत्व माना जाता है। जिलें की प्रसिद्ध नदी सरयूं को पवित्रता के साथ मोक्ष प्राप्ति  का स्थल माना जाता है।

जिला बागेश्वर से जुड़ें महत्वपूर्ण जानकारियां
जिला बागेश्वर के प्रसिद्ध मंदिर
  1. रामजी मंदिर
  2. लोकनाथ आश्रम
  3. अमित जी का आश्रम
  4. कुकुडा माई मंदिर
  5. रामघाट मंदिर
  6. अग्निकुंड मंदिर
जिला बागेश्वर के प्रसिद्ध मेले –  
  1. उत्त्रायणी मेला
जिला बागेश्वर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
  1. बागनाथ मंदिर
  2. बैजनाथ मंदिर
  3. पांडु स्थल ट्रेक
  4. चंद्रिका मंदिर
  5. सुंदर गंगा ट्रेक
जिला बागेश्वर के प्रमुख नदियाँ
  1. सरयू
  2. गोमती
  3. सरस्वती

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